तू भूल बैठा है मुझे ना जाने किसकी खातिर, तरसी है आंखे एक तुझे देखने की खातिर,।। तू भूल बैठा है मुझे ना जाने किसकी खातिर, तरसी है आंखे एक तुझे देखने की खातिर...
हो जाए हम अनजान तो ये ही सही जैसे पहले हम कुछ थे ही नहीं। हो जाए हम अनजान तो ये ही सही जैसे पहले हम कुछ थे ही नहीं।
बेसब्र थी एक रोज़ अब सब्र रखना सीख गई हूं,।। बेसब्र थी एक रोज़ अब सब्र रखना सीख गई हूं,।।
भक्ति रचना भक्ति रचना
रै मोदी रै मोदीतन्नै अच्छी गोभी खोदी रै मोदी रै मोदीतन्नै अच्छी गोभी खोदी
जीवन के अनेक रंग है, हर बीते दिन के साथ जहाँ हमें एक नया अनुभव प्राप्त होता है वहीं दूसरी तरफ ज़िन्द... जीवन के अनेक रंग है, हर बीते दिन के साथ जहाँ हमें एक नया अनुभव प्राप्त होता है व...